सभी को सबसे पहले सादर प्रणाम,
मेरी समझ में ये नहीं आता है की एक तरफ हमारा युवा वर्ग देश की समश्याओं को सही करने के लिए अन्ना हजारे जी के साथ भी जुड़ रहा है बाबा रामदेव जी के साथ भी जुड़ रहा है..या अपने अपने स्तर पर जागरूक हो रहा है सभी देश हित की बात करते हैं ..लेकिन दूसरी तरफ हमारे समाज में फैली गंभीर समस्याओं की और भी सभी युवाओं को ध्यान देना चाहिए ....
आजकल की अधिकतर युवा पीढ़ी बड़ों का सम्मान करना भूल सी गयी है संस्कारों का अभाव देखने को कहीं भी मिल सकता है युवाओं की आम बोलचाल की भाषा में गाली गलोच घुलमिल गयी है ,युवा पीढ़ी गांजा, शराब,जुआ ,सिग्रेट जैसे नशे की बुरी लत में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर रही है..एवम अधिकतर बुडे बुजुर्ग लोगो की जिंदगी घर के एक कोने में बेबस सी होकर रह गयी है क्योंकि बिना संस्कारित बेटे आज अपने बाप के बाप बन रहे हैं कुछ तो इतने निर्लज्ज बेटे हैं जो अपने माँ बाप को घर में रखना ही पसंद नहीं करते हैं और किसी ब्रद्द आश्रम में जिंदगी के आखिरी पल काटने को मजबूर कर रहे हैं....क्या हमारा समाज सही दिशा को जा रहा है..जिन माँ बाप ने पाला पोसा बड़ा किया उनका ही बाद में अनादर किया जा रहा है..
में भी युवा हूँ चारो तरफ समाज में फैली कुरीतियों को देखकर बड़ा द्रवित होता हूँ मेरी नजर में हमारे समाज के बुद्दिजीवी वर्ग को एवम युवाओं को इन संगीन मुद्दों पर भी ईमानदारी से बहस करना चाहिए एवम सही विकल्प तलाशना चाहिए..ये मुद्दे अन्य मुद्दों से किसी भी हाल में कम गंभीर नहीं हैं हमें समाज सुधार की बहुत जरुरत है वर्ना वो दिन दूर नहीं जब माँ बाप को अपने नालायक बेटों के ही पैर छूना पड़ा करेंगे...
कृपया आप सभी लोग अपनी अपनी सलाह देकर अनुग्रहित करने की कृपा करें एवम मेरे लेख में जो गलतियाँ हों उनको छोटा बालक समझकर आप प्यार से समझाने का कष्ट करें,
आपका-राम कृष्ण शर्मा
मेरी समझ में ये नहीं आता है की एक तरफ हमारा युवा वर्ग देश की समश्याओं को सही करने के लिए अन्ना हजारे जी के साथ भी जुड़ रहा है बाबा रामदेव जी के साथ भी जुड़ रहा है..या अपने अपने स्तर पर जागरूक हो रहा है सभी देश हित की बात करते हैं ..लेकिन दूसरी तरफ हमारे समाज में फैली गंभीर समस्याओं की और भी सभी युवाओं को ध्यान देना चाहिए ....
आजकल की अधिकतर युवा पीढ़ी बड़ों का सम्मान करना भूल सी गयी है संस्कारों का अभाव देखने को कहीं भी मिल सकता है युवाओं की आम बोलचाल की भाषा में गाली गलोच घुलमिल गयी है ,युवा पीढ़ी गांजा, शराब,जुआ ,सिग्रेट जैसे नशे की बुरी लत में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर रही है..एवम अधिकतर बुडे बुजुर्ग लोगो की जिंदगी घर के एक कोने में बेबस सी होकर रह गयी है क्योंकि बिना संस्कारित बेटे आज अपने बाप के बाप बन रहे हैं कुछ तो इतने निर्लज्ज बेटे हैं जो अपने माँ बाप को घर में रखना ही पसंद नहीं करते हैं और किसी ब्रद्द आश्रम में जिंदगी के आखिरी पल काटने को मजबूर कर रहे हैं....क्या हमारा समाज सही दिशा को जा रहा है..जिन माँ बाप ने पाला पोसा बड़ा किया उनका ही बाद में अनादर किया जा रहा है..
में भी युवा हूँ चारो तरफ समाज में फैली कुरीतियों को देखकर बड़ा द्रवित होता हूँ मेरी नजर में हमारे समाज के बुद्दिजीवी वर्ग को एवम युवाओं को इन संगीन मुद्दों पर भी ईमानदारी से बहस करना चाहिए एवम सही विकल्प तलाशना चाहिए..ये मुद्दे अन्य मुद्दों से किसी भी हाल में कम गंभीर नहीं हैं हमें समाज सुधार की बहुत जरुरत है वर्ना वो दिन दूर नहीं जब माँ बाप को अपने नालायक बेटों के ही पैर छूना पड़ा करेंगे...
कृपया आप सभी लोग अपनी अपनी सलाह देकर अनुग्रहित करने की कृपा करें एवम मेरे लेख में जो गलतियाँ हों उनको छोटा बालक समझकर आप प्यार से समझाने का कष्ट करें,
आपका-राम कृष्ण शर्मा
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