Thursday, 15 September 2011

देश की दुर्दशा देख कर बड़ा दुःख होता है..

करत करत अभ्यास के जड़मती होय सुजान
हो गई है ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ देखो कैसे ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
चौसठ सालों मे नेता बेईमानी में मजबूत हो गये हैं
पुलिस वाले अपना धर्म भूल गये है
प्रशासन है कि उसे फर्ज याद दिलाना पड़ता है
सूद खोरों को चल पड़ी है
जीरो परसेंट ब्याज मे भी जनता लुटी पड़ी है
पहले कुछ शर्मा लिया करते थे
अब उन्हे शर्म भी नहीं आती
आम जनता की भी करत करत अभ्यास के
इन साठ सालों मे आदत बन गइ है
गुलाम भारत से ज्यादा
गुलामी सहने कि लत लग गइ है
अब सब जड़ों तक सुजान हो गये हैं
मेरा भारत महान के किरदार हो गये हैं

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